Not known Details About bhagwan ki photo ka girna
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ज़िला प्रशासन के मुताबिक़, रास्ता बनाने के लिए लोहे का बैरीकेड काटकर वहां पर लोहे का एक गेट लगाया गया.
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छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन भोग तैयार किया जाता है. शाम के समय मीठा भात या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है.
वाराणसी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, तहख़ाना खुलवा कर पूजा करवाने की अपनी चुनौतियां थीं.
वहां से उन्हें पूजा के लिए निकाल कर तहखाने में लाया गया.
साथ ही इस दिन शिव जी की पूजा भी की जाती है. आइए जानते हैं इस साल किस तारीख को है नहाय खाय और खरना.
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क्योंकि तहखाना बंद था तो उसमें सीलन की समस्या भी थी.
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बांग्लादेश में झिनाईदह के सांसद अनवारुल अज़ीम कोलकाता से लापता कैसे हुए?
इमेज कैप्शन, ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर पुलिस तैनात है.
इसमें पत्थर के बिना शिवलिंग के दो अरघे, एक भगवान विष्णु की मूर्ति, दो भगवान हनुमान की मूर्ति, एक भगवान गणेश की, एक राम लिखा हुआ छोटा सा पत्थर और एक गंगा जी का मकर है.
प्रशासन के मुताबिक़ काशी मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा ने ही पूजा शुरू करवाई.